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ग्रामवासी-तो रस ले लीजिए। हमारे बहुत सारे कोल्हू चलते हैं । कुछ लीजिए। ____ उनके अत्यन्त आग्रह पर प्राचार्यश्री ने साधुओ को उनका रस लेने
के लिए भेजा। स्वय आचार्यश्री ने भी उनका रस पिया। पर वह * प्राचार्यश्री के प्रकृति के अनुकूल नही रहा । ऊझमुगेरी आते-आते आचार्य श्री का शरीर भारी हो गया और थककर चूर हो गए। पर फिर भी आचार्यश्री ने किसी को बताया नही। क्योकि आचार्यश्री जानते थे कि इस समय तो हिम्मत का काम है। यदि मैं ही हिम्मत हार दूगा तो साधुओ को बड़ी चिन्ता हो जाएगी। इस समय एक दिन रुकना भी भारी हो जाएगा। पर यह बात छिपाने से कव छिपती है। रात मे आचार्यश्री को प्रतिश्याय हो गया और प्रात काल वदना के समय आचार्यश्री ने इस यात्रा मे ईक्षु रस पीने का त्याग कर दिया।