Book Title: Jan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta
Publisher: Meghraj Sanchiyalal Nahta

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Page 200
________________ २७-३-६० आचार्यश्री अगले गाव के लिए प्रयाण कर चुके थे । एक भाई जयघोषः (नारा) कर रहा था--नई मोड को, दूसरे लोग कहने लगे-प्राने दो। तो आचार्यश्री जरा मुस्कराए और पीछे देखकर उनसे कहने लगे-~क्यो, है तैयारी? केवल नारे ही लगाते हो या परिवर्तन भी करना चाहते हो' वे वेचारे सकुचाये पर एक प्रेरणा अवश्य मिली, देखे उसका क्या प्रभाव होता है ? नई-मोड की आजकल काफी चर्चा है। कल भी आचार्यश्री ने इस सबन्ध मे कुछ साधनो से विचार-विमर्श कर एक योजना बनाई थी। नए वर्ष का यह नया अभिनन्दन था। उसका अभिप्रेत यही था कि समाज आज नाना रूढियो से ग्रस्त होकर अनीति की ओर अग्रसर हो रहा है, उसे रोका जाय । क्योकि व्यक्तिश परिवर्तन की आखिर एक सीमा होती है । उससे आगे बढकर वह अधिक नहीं चल सकता। बहुत सारी परिस्थितियो मे उसे वाध्य होकर समाज के साथ चलना पडता है। अतः सुधार का एक दूसरा मार्ग भी खोजा जाना चाहिए। जो व्यक्ति को समाज मे रहकर भी साधना की ओर उन्मुख करता रहे । उसे ही नई मोड के द्वारा आचार्यश्री चिह्नित करना चाहते है। ताकि व्यक्ति पर व्यर्थ लदी हुई रूढिया उसकी गति को व्याहत नहीं कर सके । एक दूसरा अभिप्रेत भी उसका है और वह यह कि कुछ ऐसी रूढिया जो जैन सस्कृति के साथ सम्पर्क नही रखती उनका भी उन्मूलन करना चाहिए। क्योकि नया प्रकाश जिस गति से होता जा रहा है उस गति से

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