Book Title: Jan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta
Publisher: Meghraj Sanchiyalal Nahta

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Page 210
________________ ३०-३-६० यद्यपि जमीदारी खत्म हो चुकी है पर उसका नशा तो अभी तक खत्म नही हुआ है । वैसे आय के साधन तो खत्म हो चुके है पर ठकुराई तो अभी तक खत्म नही हुई है । इसीलिए नव निर्माण की इस स्वर्णिम वेला मे भी यहा ठाकुर साहब खूब जी भर कर शराब पीते हैं । श्राज प्राचार्यश्री ने उन्हे उपदेश दिया तो सहसा उनका बोधाकुर प्रस्फुटित हो उठा और उन्होने जीवन भर शराब नही पीने की प्रतिज्ञा कर ली। प्रवचन के बाद जब प्राचार्यश्री राजघराने मे औरतो को दर्शन देने के लिए गये तो स्त्रिया तो फूली नही समा रही थी। कहने लगी- श्राचार्यजी ! आपने ठाकुर साहब की शराब छुडाकर हमारे घराने को बचा लिया। नही तो पैसे तो जाते सो जाते ही पर इज्जत पर भी पानी फिरता जा रहा था -सो आज आपने हमको उबार दिया । स्पष्ट है कि रणुव्रत प्रान्दोलन की - गावो मे कितनी उपयोगिता है । आचार्यश्री जब गांवों मे जाते है तो वहा जैसे नव जीवन हिलोरें लेने लगता है । नही तो भला बहिनो के लिए बाजारो में उपस्थित होने का कब अवसर मिल सकता है। घूघट और घर की चार दीवारी मे वद रहने वाली महिलाओ को जैसे उन्मुक्त वातावरण मे श्वास लेने का एक अवसर मिलता है । वे बाजारो और सार्वजनिक स्थानो मे आकर पुरुषों के साथ बैठ कर आचार्यश्री का प्रवचन सुनती है । उनके मधु से भी मधुर - कण्ठो से जब भक्ति रस से आप्लावित सगीत -सरिता प्रवाहित होती है तो एक बार तो श्रोता को ठिठक जाना पडता है । सचमुच ही प्रकृति ने

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