Book Title: Jan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta
Publisher: Meghraj Sanchiyalal Nahta

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Page 215
________________ २०७. पूजक समाज के पास । अपितु तेरापथी लोग जो तटस्थ है उनके पास रहेगी। किसी को यदि किसी वस्तु की आवश्यकता हो तो अपनी समाज के दो प्रतिनिधि इधर से आ जाय और दो प्रतिनिधि उधर से बुला ले फिर जैसा वे तेरापथी भाई उचित समझेंगे वैसा करेंगे । उसी दिन से वह कुजी आज तेरापथी भाई उगमराजजी के पास है। जो अपने उत्तरदायित्व को योग्यतापूर्वक निर्वाह करते हैं । वे स्वय आज उपस्थित थे। उन्होने ही अपने मुह से यह सारा वृत्तान्त आचार्यश्री को सुनाया । रात्रि में स्कूल के प्रागण मे सार्वजनिक प्रवचन हुआ जिसमे शहर के अनेक प्रतिष्ठित नागरिक तथा अधिकारी उपस्थित थे। प्रवचन के प्रत मे कहने लगे हमने अनेक बार आपका नाम सुना है पर इसके साथ आपके विरोध मे भी कम नहीं सुना है। अनेक वार मन मे आता है कि लोग आपका विरोध क्यो करते हैं ? पर आज आपका प्रवचन सुनकर यह समझ मे आया कि अणुव्रत-आन्दोलन के कारण ही आपका बहुत अधिक विरोध होता है। आप आन्दोलन को लेकर द्रुत गति से साधु समाज मे आगे आ गये । अत दूसरो के लिए सिवाय विरोध के और शेष रह ही क्या सकता था?

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