Book Title: Jan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta
Publisher: Meghraj Sanchiyalal Nahta

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Page 226
________________ २१८ ३ सबसे बडा दान अभयदान है। ४. सबको आत्म-तुल्य समझ कर किसी का शोषण नहीं किया जाएं, वह दया है। कुछ लोग उनके क्रान्ति मूलक विचारो को सह नही सके और उन्होने उनका गलत प्रचार किया। उन्हे दान-दया का विरोधी ठहराया। कही-कही उनके अनुयायियो ने भी उनके तत्वो को नही समझा तथा अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए उनका दुरुपयोग किया। तेरापथ के विकास के चार महत्त्वपूर्ण विकल्प है१ शाति। २. सहिष्णुता। ३. विरोध के लिए शक्ति का व्यय न हो। ४. कार्य से ही विरोध का उत्तर दो। इसलिए वह प्रतिदिन विकासोन्मुख है। अभिनिष्क्रमण के अवसर पर हम भिक्षु स्वामी के विचारो का शत-शत अभिनन्दन करते है तथा उन्हे फैलाने का दृढ संकल्प करते हैं। राजस्थान के मुख्यमत्री श्री मोहनलाल सुखाडिया ने अपने भाषण के बीच आचार्य भिक्षु के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा-'आज से दो सौ वर्ष पूर्व प्राचार्य भिक्षु ने जो एक अध्यात्म-क्रान्ति की थी सचमुच अपने आप मे वह एक महान् अनुष्ठान था। वर्तमान समय मे उनके उत्तराधिकारी आचार्यश्री तुलसी ने उसी क्रान्ति को आगे बढाकर देश के लिए एक महान् कार्य किया है। क्रान्ति वास्तव मे वही है जो अपने पुराने मन्तव्यो को नया मूल्य दे सके, उन्हे युगानुकूल ढाल सके। हमे अपनी प्राचीन मान्यताओ को युग के अनुकूल ढालना होगा। तभी हम अपनी प्राचीनता की सुरक्षा कर सकेगे।' ___'आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत-आन्दोलन के रूप मे एक सर्वहिताय कार्यक्रम देश के सामने रखकर वास्तव मे ही राजस्थान का गौरव

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