Book Title: Jan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta
Publisher: Meghraj Sanchiyalal Nahta

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Page 221
________________ २१३ प्रयत्न किया । पर अनेक प्रार्थनाओ के बावजूद भी उनकी आत्मा उन्हें साध्वी बनाने के लिए जरा भी विचलित नही हुई । किन्तु वह वहन भी अपने सकल्प से कब डिगने वाली थी ? उसने प्ररण कर लिया कि भले ही मुझे साधुत्व आए या नही आए पर मैं जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन करूगी । फिर भी पिता का दिल नही पसीजा। उन्हे यह स्वीकार था कि भले ही उनकी पुत्री ब्रह्मचारिणी रह जाए पर वह साध्वी बनकर घर-घर भीख मागे यह उन्हे कभी सह्य नही था । फलत उसको साघुत्व नही आ सका और वह ब्रह्मचारिणी रहकर धर्माराधना करने लगी। उन्होने जीवन भर अखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया और जैसा स्वाभाविक था उस तपस्या से उनका मुखमडल तपो दीप्त हो उठा । गाव के सारे लोग यहा तक कि बडे-बडे ठाकुर भी उनसे प्रभावित रहते थे तथा उनका चरण स्पर्श करने मे अपना कल्याण मानते थे । साधु-साध्वियो की भी वह बडी सेवा किया करती थी । इसीलिए मघवागरण की उन पर बड़ी कृपा रहती थी । सचमुच तेरापथ का इतिहास इन्ही बलिदानो का एक सजीव इतिहास है ।

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