Book Title: Jan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta
Publisher: Meghraj Sanchiyalal Nahta

View full book text
Previous | Next

Page 198
________________ १६० बहनें- काग्रेस के राज्य में सुविधाए कहा है ? वह तो हमसे लगान भी अधिक लेती है। मैं--पर क्या काग्रेस ने तुम्हारे गाव मे स्कूल नहीं बनाई ? बहनें-पर इसमे क्या ? वह रुपया तो हम लोगो से ही लेती है। हमे वापिस तो वह बहुत ही कम देती है। अधिकतर रुपया तो शहरों मे ही खर्च किया जाता है या राजकर्मचारी उसे खा जाते हैं। अतः हमें उनसे क्या लाभ? ___ मैं न तो काग्रेस का समर्थन करना चाहता हू न असमर्थन ही। पर इसके बारे मे गावो मे क्या विचार हैं यह प्रासगिक रूप से आ गया तो मैंने उसका विवरण दे दिया। इसके सिवाय आज हमने अत्यन्त निकट से ग्रामीण लोगो की दैनिक चर्या देखी तो ऐसा लगा अभी तक प्रकाश वहा से बहुत दूर है । स्त्रिया प्रायः प्रशिक्षित हैं। पुरुष नशेवाज है और श्रम से बचना चाहते हैं। बच्चो की शिक्षा की ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया जाता। जनसख्या द्रुत गति से बढ़ रही है। कपड़े फटे हुए पार मैले हैं। घर मे कोई व्यवस्था नहीं है। माताए छोटी-छोटी बातो पर गुस्सा हो जाती है और बच्चो को पीट देती है। बच्चे व्यर्थ ही इधरउधर दौडते रहते हैं । मोटरें अभी तक यहा कुतूहल का कारण बनी हुई हैं । उन्हे देखते ही बच्चे उनके पीछे दौडने लगते हैं। स्त्रिया अपने बड़े पुरुषों से बात नही कर सकती । पर्दा तो रहता ही है । किसी को बुजुर्गों से कुछ पूछना भी होता है तो बीच में किसी दुभाषिए की आवश्यकता रहती है । बच्चे दिन भर खाने की रट लगाये रहते हैं। इतना होते हुए भी उनके आचरण अच्छे हैं। उनमे साधुनो के प्रति श्रद्धा कूट-कूट कर भरी हुई है। साधुओं को वे अपने माता-पिता की दृष्टि से देखते है। अतिथि का सत्कार करते हैं । आए हुए लोगो को न केवल स्थान ही देते हैं अपितु भोजन की भी मनुहार करते है। पर फिर भी उनमे सभ्यता

Loading...

Page Navigation
1 ... 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233