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२६-३-६०
गाव मे पानी तालाव का आता है अत उसे साफ करने के लिए मैं एक फिटकरी का टुकडा लाया था । पर जिस व्यक्ति से मैं वह लाया था वह व्यक्ति न जाने कहा चला गया, मुझे वापिस नहीं मिला । अतः मुझे आचार्यश्री से पूछना पड़ा इसका क्या करू ? आचार्यश्री ने कहातुमने उसका नाम नही पूछा ? __ मैंनही नाम तो मैंने नही पूछा । मैंने समझा थोडी देर मे मैं उसे वापिस दे दूगा।
आचार्यश्री यह ठीक नहीं है, किसी से कोई चीज लेनी पड़े तो उसका नाम जरूर पूछना चाहिए । खैर अब तो क्या हो सकता है ? अगर मिले तो उसकी खोज करना और नहीं मिले तो फिर किसी व्यक्ति को देना तो यह पडेगा ही।
इससे स्पष्ट है कि प्राचार्यश्री छोटी-छोटी बातो को भी कितना महत्व देते है । आज ही जब मै और मुनिश्री मोहनलालजी एक-एक पैन लेकर आचार्यश्री को दिखाने गये तो प्राचार्यश्री ने मुनिश्री मोहनलालजी से पूछा-किससे लिया?
उन्होने कहा-जुहूमलजी घोडावत से। फिर मुझसे पूछा-तुमने किससे लिया ?
मैने कहा-जुहूमलजी घोडावत से । तो आचार्यश्री एकदम पूछने लगे-एक व्यक्ति से दो पैन क्यों
लिए?