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अवसर दिया है। अतः आज से मैं यह प्रयत्न करूगा कि विशेषरूप से अपनी क्रोधी प्रकृति पर विजय पाऊं तथा अपनी आभ्यन्तरिक कमजोरियों को दूर करू।
नवभारत टाइम्स के सम्पादक श्रीअक्षयकुमार जैन ने कहा-आज देश मे नीति मूलक उपदेशो की अत्यधिक आवश्यकता है और उससे भी अधिक आवश्यकता है आचार्यश्री जैसे त्यागी महात्माओ के सान्निध्य मे बैठकर अपने जीवन को सात्विक वनाने की ।
प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीजनेन्द्रकुमारजी ने कहा-दिल्ली की एक विशेषता है कि वह सदा स्वागत करती है। किन्तु हमारे यहा आने वाले अतिथियो मे अधिक लोग वे होते है जो हवा मे उडकर पृथ्वी पर आते हैं । किन्तु आज जिनका स्वागत हो रहा है वे निरन्तर पृथ्वी पर ही चलकर
आए है । आपने देश मे एक आस्था जागृत की है । यदि आपके मार्ग-दर्शन के अनुसार चला जाए तो देश का जीवन बहुत कुछ ऊचा हो सकता है ।
श्री यशपाल जैन ने कहा-राजनीति त्याग करने की बुद्धि नहीं दे सकती। वह बुद्धि तो कोई मानव नीति का समर्थक ही दे सकता है । मुनिश्री मोहनलालजी 'शार्दूल' ने एक सरस कविता से प्राचार्यश्री का अभिनन्दन किया।
नई दिल्ली प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष श्री वसन्तराव भोक, श्री गुरुप्रसाद कपूर, श्री जनार्दन शर्मा तथा श्री मोहनलाल कठौतिया ने भी इस अवसर पर आचार्यश्री को अपनी श्रद्धाजलियां समर्पित की।
आचार्यश्री ने अपने प्रति प्रदर्शित किये गए अभिनन्दन का उत्तर देते हुए कहा-दिल्ली में जितनी नैतिक तथा चारित्रिक उन्नति होगी देश का भाल उतना ही गर्वोन्नत रहेगा। आज करोडो लोगो मे अणुव्रत