Book Title: Jan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta
Publisher: Meghraj Sanchiyalal Nahta

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Page 191
________________ बहनो की ओर मे एक प्रश्न आया कि पहले अणुव्रतो मे एक नियम था कि तपस्या के उपलक्ष मे रुपये, पैसे, कपडे, मिठाई आदि कोई भी चीज नही लेना। अब यह नियम नही रहा है । इसलिए कुछ लोग अणुव्रतियो को वाध्य करते हैं कि अव जव नियम नहीं रहा है तो उन्हे नहीं लेने का आग्रह क्यो रखना चाहिए? इसलिए कुछ अणुव्रती तो उन चीजो को ले लेते है और कुछ नही लेते । इस प्रकार यह एक दुविधा हो जाती है । अत' अगर आप स्पष्टीकरण करें तो उपयुक्त होगा। प्राचार्यश्री ने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा-यद्यपि वर्तमान नियमावली मे यह नियम नहीं रहा है, पर इसका मतलब यह नहीं है कि अणुव्रती केवल नियमो तक ही सीमित रहे । नियम आखिर कितनी बुराइयो के बनाये जा सकते हैं ? बहुत सारी बातें तो गम्य ही होती है। प्रणव्रत-आन्दोलन तो केवल उनकी ओर सकेत मात्र ही कर सकता है। अत भले ही तपस्या के उपलक्ष मे ली-दी जाने वाली वस्तुओ का नियमों में निषेध नही हो, पर भावना में इसका निषेध रहता ही है । तपस्या जैसे आत्म-शुद्धि के अनुष्ठान मे बाहरी दिखावा किसी भी तरह उचित नहीं कहा जा सकता। रात्रि में आज सतजनो द्वारा अपने-अपने काव्य प्रस्तुत किए गए। उपस्थित जनता पर इसका सुन्दर प्रभाव पड़ा । प्रहर रात्री आने तक सभी सतो की कविताए पूरी नहीं हो सकी थी। और साथ-ही-साथ लोगो का भी आग्रह था कि कल यह गोष्ठी और रखी जाए । इसलिये कल फिर कवि गोष्ठी के निश्चय होने के साथ प्राज का यह रोचक कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न हुआ। आचार्यश्री तो रात्रि मे बहुत देर तक विचारविनिमय मे व्यस्त रहे ।

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