________________
२७-१-६०
प्रातः साढे आठ बजे आचार्यश्री का सब्जीमण्डी बिड़ला हायर सैकेण्ड्री स्कूल मे छात्रो के बीच प्रवचन हुा । उस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा सचिव श्री के० जी० सैयदेन, कृषि मत्री श्री पजाबराव देशमुख तथा दिल्ली जन-सम्पर्क समिति के अध्यक्ष श्री गोपीनाथजी आदि विचारक भी उपस्थित थे।
श्री देशमुख ने आचार्यश्री का अभिनन्दन करते हुए कहा-हमारे देश की संस्कृति के मूल मे सदा त्याग और संयम रहा है। यहा उन्ही लोगो का समादर होता आया है जो लोग अपने जीवन को त्यागमय बनाते है । पर आज हम लोग अपने उस आदर्श को भूलते जा रहे हैं । हमारे विद्यार्थियो को धर्म के बारे में कुछ भी नहीं बताया जाता । पर इन सब के बावजूद भी यह खुशी की बात है कि आचार्यश्री आज विद्याथियो मे अपना त्यागमय उपदेश देने आये है। सचमुच इस मार्ग पर चलकर ही हम अपने राष्ट्र को सुदृढ और सुव्यवस्थित बना सकते है।
भारत सरकार के शिक्षा सचिव श्री के० जी० सैयदन ने अपना भाषण करते हुए कहा-भारत के लिए आज अनुशासन और सयम की जितनी आवश्यकता है उतनी शायद और किसी भी विज्ञान की नहीं है। क्योकि अनुशासन और सयम के विना जीवन का निर्माण नही हो सकता। और अव्यवस्थित जीवन मे कोई भी विज्ञान शाति-प्रेरणानही भर सकता। महात्मा गाधी ने सयम के आधार पर ही देश को विदेशी सत्ता से मुक्त करवाया था। उसी प्रकार आचार्यश्री तुलसी अनेक कठिनाइया सहकर