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वाले थे । श्रावको ने देखा साधुओ के सोने के लिए स्थान की कमी रहेगी अत. दूसरी कुटिया के लिए भी उन्होने गृहस्वामी को राजी कर लिया और आचार्यश्री से निवेदन किया कि यह स्थान भी खाली है । साधु लोग इसमे भी सो सकते है । आचार्यश्री ने देखा यह स्थान पहले तो खाली नही था, अव खाली कैसे हो गया ? इसीलिए श्रावको से पूछा- यह स्थान पहले तो खाली नही था ?
श्रावक - पहले वे स्वय इसमे सोना चाहते थे । आचार्यश्री - अब कहा सोएगे ?
श्रावक - अब वे दूसरी जगह सो जाएगे ।
आचार्यश्री ने दूर बैठ गृहस्वामी से पूछा- क्यो ठाकुर साहब हम
रात मे यहा सो जाए
ठाकुर — हा, महाराज आराम से सोइए ।
आचार्य - आपके कोई कठिनाई तो नही होगी ?
ठाकुर नही, हमारे पास तो और बहुत से स्थान हैं आप कोई बारवार थोडे ही आते है । उनकी ओर से पूरा सन्तोष हो जाने के बाद आचार्यश्री ने हमे वहा सोने की आज्ञा दी । ठाकुर लोगो पर इसका अच्छा प्रभाव पडा और वे रात के प्रवचन में भी काफी सख्या मे आये ।