________________
१२७
१ मुनिश्री सुखलालजी स्वामी को धोर-तपस्वी का पदवीदान । २. यथा अवसर पर मत्री मुनि श्रीमगनलालजी स्वामी का जीवन
काव्याकृति मे ग्रथित करने का सकल्प । ३. कोई विशेष बाधा नही हो तो स्थली प्रान्त मे सबसे पहले
बीकानेर के चौखले मे चातुर्मास करना ।