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नहीं होते। जो उद्देश्य एक दिन की तपस्या का होता है, वही आजीवन अनशन का होता है । वे केवल जीवन-शुद्धि के लिए अनशन कर रहे हैं। जहा भौतिक पदार्थों के प्रति तीव्रतम आसक्ति है, वहां शरीर और उसके पोषण के प्रति अनासक्ति का भाव प्रबल होता है। वह सचमुच ही दर्शनीय है।
अपने प्रवचन के अत मे आचार्यश्री ने कहा-मैंने इन दो वर्षों मे उत्तरप्रदेश, बिहार और वगाल की यात्रा की है। अणुवत-आन्दोलन की भावना को जन-साधारण तक पहुचाने का प्रयास किया है। भारतीय मानस मे व्रत का सहज सस्कार है। इसलिए वह उसकी ओर आकृष्ट होता है। पर आर्थिक प्रलोभन के कारण उस तक पहुंचता नहीं है । नैतिकता के अनेक महत्त्वपूर्ण पहलुप्रो मे भारत बहुत आगे है । अनाक्रमण, शाति और मैत्री की भावना उसमे परिव्याप्त है । आर्थिक भ्रष्टाचार जो बढा है वह सधिकाल की देन है। उसे मिटाने का यल करना आवश्यक है। इस वर्ष आन्दोलन ने मिलावट, रिश्वत और मद्य-निषेध, इस त्रिसूत्री कार्यक्रम पर ध्यान केन्द्रित किया था। इसे तीव्र गति से चलाने की आवश्यकता है । मैं चाहता हू इसके लिए एक सवल वातावरण बनाया जाय।
प्रेस कान्फ्रेस में राजधानी के प्राय. सभी अंग्रेजी, हिन्दी तथा उर्दू समाचार-पत्रो और समाचार समितियो के प्रतिनिधियो ने भाग लिया। प्रवचन के बाद थोड़ा-सा प्रश्नोत्तरो का भी कार्यक्रम रहा ।
रात्रि के शात वातावरण में गीता भवन मे एक विचार परिषद् का आयोजन किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस श्री बी० पी० सिन्हा ने उसकी अध्यक्षता की। 'विचारणीय विषय था-विश्व-स्थिति और अध्यात्म ।