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निरन्तर हमारे साथ चला आ रहा है। वह है भूरे रंग का, स्वस्थ और छोटे कद का सुन्दर कुता। वह भी यात्रियों मे इतना घुल-मिल गया है कि उसका घरेलू नाम 'भूरिया' ही पड गया है। सब उसे इसी नाम से पुकारते है। वह भी बडा मस्त है। आचार्य श्री विहार करेंगे तो भट साथ हो जाएगा और रास्ते भर साथ रहेगा। स्वभाव का वडा विनीत है, जहा तक होगा आचार्य श्री के पास ही रहने का प्रयत्न करेगा।
ऐसा लगता है पहले वह कही पालतू रहा है । फिर किसी कारण विशेष से वहा से हट गया है या हटा दिया गया है। डालमियानगर से एकदम यह हमारे साथ हो गया और अभी तक चला आ रहा है । कुछ दिनो तक शायद उसे खाने को भी पूरा नही मिला । पर यह साथ चलता ही रहा । अव तो यात्री लोग भी इसे पहचानने लगे है । यह भी रात मे किसी के पैरो मे जाकर सो जाता है । पर किसी चीज को खराब नहीं करता। थोडे ही दिनो मे अपनी प्रवृत्ति से इसने सवको आकृष्ट कर लिया है।
बच्चुसिंह भी साथ मे ही था वड़ा सज्जन और भक्त आदमी है।