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कि आचार्य की ऐसी दृष्टि है तो प्राण-पण से उसे पूर्ण करने के लिए जुट पड़ते । वे अनेक झझावातो मे शासन के सफल सेवक रहे हैं। मुझे शासन के ऐसे विशिष्ट सदस्य पर गर्व है। पर आज तो केवल उनकी स्मृति ही शेष है । अत मे आचार्यश्री ने उनकी स्मृति मे कुछ दोहे कहे
वयोवृद्ध शासन सुखद, मंत्री मगन महान् । माह बदि छठ मंगल दिवस, कर्यो स्वर्ग प्रस्थान ॥१॥ अद्भुत अतुल मनोवली, गण में स्तम्भ सधीर । दृढ़प्रतिज्ञ सुस्थिर मति, आज विलायो वीर ॥२॥ उदाहरण गुरु भक्ति को, दिल को बड़ो वजीर । सागर सो गंभीर वो, आज विलायो वीर ॥३॥ विनयी विज्ञ विशाल मग, मनो द्रौपदी चीर । सफल सुफल जीवन मगन, आज दिलायो वीर ॥४॥ नानऊ कोठी नहर में, सांझ प्रार्थना सीन । सुरण सचित्र सारा रहा, उदासीन आसीन ॥५॥ रिक्त स्थान मुनि मगन रो, भरो संघ के सत। मगन-मगन पथ अनुसरो, करो मतो मतिवंत ॥६॥ 'सुख' अव कर अनशन सुखे, प्राज फली तुम पाश ।
हाथो में थारे हुयो, बाबा रो स्वर्गवास ॥७॥ कुछ अन्य साधुओ ने भी मत्री मुनि के प्रति भाव भरी श्रद्धांजलियां समर्पित की । यद्यपि मत्री मुनि इन वर्षों में काफी अवस्थ रहे थे। उन्हे देखते ही मानस-सरोवर में एक प्रकार की करुण लहरें तरगित हो उठती । थी। पर उनका निधन उससे भी अधिक हृदय-विदारक था। सबके मुह पर जैसे एक उदासी छा गई थी।
स्मृति-सभा के अत मे हासी निवासी भाइयो ने हांसी मे मर्यादा