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महोत्सव करवाने की जोरदार प्रार्थना की । जिसे आचार्यश्री ने स्वीकार कर लिया। पिछले कुछ दिनो से मत्री मुनि की अस्वस्थता के समाचार आ रहे थे। अत विचार हो गया था कि शायद महोत्सव तक आचार्य श्री सरदारशहर पहुच जाए । पर अब यह कारण सर्वथा निरस्त हो चुका था । मत्री मुनि स्वय ही नही रहे तो उन्हे दर्शन देने का प्रश्न ही नही उठता। मुनिश्री सुखलालजी का अनशन जरूर आकर्षण का केन्द्र था। पर प्राचार्यश्री का विश्वास था कि मुनिश्री सुखलालजी विना दर्शन स्वर्गगमन नहीं करेंगे । अतः गति मे पूर्ववत् वेग नही रहा । हासी महोत्सव की घोषणा ने उसे और भी पुष्ट कर दिया।
रात्री मे आचार्यश्री के स्वागत का कार्यक्रम रखा गया था। सर्दी काफी थी फिर भी काफी लोग पाए थे। सबसे पहले श्री स्वामी विवेका-- नन्द जी ने स्वागत-भाषण किया। तदनन्तर रामगोपालजी "आजाद" ने अभिनन्दन-पत्र पढा।