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२३-१-६०
आज मध्याह्न मे सिकन्दराबाद मे अग्रवाल इन्टर कालेज में हजारों छात्रो के बीच मे प्रवचन हुआ । प्रिंसिपल श्यामबिहारी ने प्राचार्यश्री का हार्दिक स्वागत किया तथा अपने छात्रो को अणुव्रत के पथ पर ढालने का आश्वासन दिया । यहाँ सिकन्दराबाद में इधर तो प्राचार्य श्री प्रवचन कर रहे थे और उधर जोखाबाद मे जहा हमे रात को ठहरना था एक बड़ी 'विचित्र घटना हुई । द्याचार्यश्री का विलसूरी से प्रस्थान हो जाने के बाद यात्री लोग जोखाबाद की ओर चल पडे । जोखाबाद एक बिल्कुल छोटासा कस्बा ही था । अत स्थान भी थोडा ही था । यात्री लोग काफी सख्या मे थे । उन सबको अपने गाव की ओर आते देख गाव वालो के दिल 'दहल उठे । सोचने लगे ये इतने लोग क्यो आ रहे है ? क्या ये हमारे गाव को लूटेगे ? तभी तो इनके पास इतनी मोटरें है । अत वे गाव के बाहर लाठिया लेकर खड़े हो गये और थाने वाले यात्रियो को गाव मे नही जाने दिया। यात्रियो ने बहुत समझाया, हम प्राचार्यश्री के साथ चलने वाले लोग हैं । रात-रात यहा ठहरेंगे और सुबह श्रागे चले जाएगे । पर उन्होने एक न सुनी और किसी को गाव मे पैर नही रखने दिया ।
यात्री लोग दौडे-दोडे आचार्यश्री के पास आये और बोले - वहा तो गाव मे पैर ही नही रखने देते । प्राचार्यश्री भी क्षरण भर के लिए विस्मय मे पड गये । सोचने लगे क्या किया जाय ? इधर प्रिंसिपल का बहुत आग्रह था कि रात-रात आचार्यश्री कालेज मे ही ठहरे और जिज्ञासु छात्रो को बोध देने की कृपा करें। उधर साधु लोग श्रागे चले गए थे, गाव वाले स्थान देने के लिए तैयार नही थे सो अलग बात । अतः आचार्यश्री ने
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