________________
७८
रखा है-मैं किसी को अस्पृश्य नही मानूगा । सरदारजी ने आचार्य श्री से मिलकर बडी खुशी प्रकट की। अहिंसा और देश-रक्षा ___ उनके साथ जगदीश नाम के एक युवक भाई भी थे । स्थानीय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वे प्रमुख कार्यकर्ता थे। कहने लगे-आचार्यजी ! अणुव्रत की दृष्टि के अनुसार इस समय जबकि चीन भारत के सिर पर वन्दूक लेकर आ खडा है किसी को नहीं मारने की प्रतिज्ञा कर ली जाए तो देश का काम कैसे चलेगा?
आचार्य श्री अणुव्रत के व्रत की भाषा है "चलते-फिरते निरपराध प्राणी की सकल्पपूर्वक हत्या नही करूगा।" इसमे निरपराध शब्द एक ऐसा है जो देश रक्षार्थ किए जाने वाले प्रतिरोध मे बाधक नही बनता। अणुव्रत का यह आशय नहीं है कि देश की सुरक्षा भी न की जाए । उसका आशय तो यह है कि साम्राज्य-वृद्धि की भावना से किसी भी देश पर आक्रयण न किया जाए । प्रत आज या किसी भी स्थिति मे देश या व्यक्ति के लिए अणुव्रत अव्यवहार्य नहीं है ।
आहार के पश्चात् पी० डब्ल्यू० डी० के इजीनियर ने काफी देर तक अणुनत-आन्दोलन तथा जैन धर्म के बारे मे जानकारी प्राप्त की।