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बूढा-~मैं भी आपके साथ हो जाऊंगा। एक दो दिन जितना हो सके सत्संगति का लाभ तो लेना ही चाहिए । छोटे लडके से कह दूंगा वह रोटी ले आया करेगा और मैं आपके साथ-साथ पैदल चला करूगा। भगवान् ऐसा मौका बार-बार थोडे ही देता है ?
आचार्य श्री-अच्छा बाबा तुम्हारी यह भेंट तो हम नही लेंगे पर कुछ दूसरी भेंट तो जरूर लेंगे।
बूढा-क्या लेंगे? आचार्य श्री शराब पीते हो? बूढा-नही, तम्बाकू भी नहीं पीता।
आचार्यश्री - तो फिर कोई अपनी एक ऐसी प्रिय चीज छोड दो, जो तुम्हे सत-दर्शन की स्मृति कराती रहे ।
उसने आजीवन टमाटर खाने का त्याग कर दिया। सचमुच ऐसे प्रसंग बहुत ही कम मिलते हैं। मैं तो भाव-मुग्ध होकर बडी तन्मयता से सुन रहा था।