Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/163
अध्याय ५ विविध तप सम्बन्धी विधि-विधानपरक साहित्य
अनन्तव्रतोद्यापन इस नाम की छः कृतियाँ मिलती हैं उनके कर्ता ये हैं -
___एक कृति गुणचन्द्र की है, दूसरी मुनि गणधरकीर्ति की है, तीसरी रचना मुनि धर्मचन्द्रजी की है, चौथी नारायण की है, पाँचवी कृति मुनि रत्नचन्द्र की है
और छठी शान्तिदास की है। इन रचनाओं के सम्बन्ध में विशेष जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है तथापि कृति नाम से इतना अवश्य ज्ञात होता हैं कि इनमें अनन्तव्रत की समाप्ति के बाद की जाने योग्य उद्यापनविधि का वर्णन हुआ है। अनन्तव्रतकथा
यह कृति दिगम्बर मुनि श्रुतसागरजी की है। इस नाम की दो कृतियाँ और मिलती है १. अनन्तव्रतकथानक-यह अपभ्रंश में है। २.अनन्तव्रतविधानकथाइन कृतियों का विशेष परिचय ज्ञात नहीं हो पाया है पर इतना अवश्य है कि इसमें अनन्तव्रत की विधि एवं उसकी कथा का वर्णन हुआ है। यह व्रत दिगम्बर परम्परा में विशेष प्रचलित है। अक्षयनिधितपो विधि
यह पुस्तक मनि मंगलसागरजी द्वारा संकलित की गई है। यह मूलतः हिन्दी पद्य में है। इसमें अक्षयनिधि तपोनुष्ठान के समय बोले जाने वाले
चैत्यवन्दन-स्तवन- स्तुति दोहे आदि खरतरगच्छीय हरिसागरसूरि द्वारा रचित दिये गये हैं। इसमें अक्षयनिधि तप का माहात्म्य बताने वाली कथा भी दी गई है। एकादशीग्रहण विधि
___ यह कृति अनुपलब्ध है। किन्तु इतना कह सकते हैं कि इसमें मौन एकादशी तप को ग्रहण करने की विधि उल्लिखित हुई है।
' जिनरत्नकोश- पृ. ७ २ वही. पृ. ७ ३ 'श्री पुण्यसुवर्णज्ञानपीठ जयपुर' से वि.सं. २०४४ में प्रकाशित हुई है। * जिनरत्नकोश- पृ. ६१
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