Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/563
विद्यानुशासन
यह ग्रन्थ जिनसेन के शिष्य मल्लिषेण द्वारा रचित है। इसमें २४ अध्याय हैं और लगभग ५००० मंत्रों का संग्रह है यह ग्रन्थ कैटलॉग ऑफ संस्कृत एण्ड प्राकृत मैन्युस्क्रिप्टस् सी.पी.एम. बरार में उल्लिखित है। अन्य भंडारों में भी इसके उपलब्ध होने की सूचना मिलती है। यह बृहद्काय ग्रन्थ होना चाहिए। साथ ही अप्रकाशित भी है। विषापहार स्तोत्र
यह ४० श्लोकों की एक लघु कृति है। इस स्तोत्र के रचयिता महाकवि धनंजय हैं जो लगभग सातवीं शती में हुए हैं। यह स्तोत्र मंत्र प्रधान है। इस स्तोत्र पर भी मंत्र और यंत्र गर्भित अनेक टीकाएँ मिलती हैं। श्वेताम्बर परम्परा में यह स्तोत्र विशेष रूप से प्रचलित है। सरस्वतीकल्प
___ यह भैरवपदमावतीकल्प के रचयिता मल्लिषेण की कति है। इसमें ७८ श्लोक और कुछ गद्य भाग है। इसमें सरस्वती की साधना विधि दी गई है। इस कृति का अपरनाम भारतीकल्प है। इसके प्रथम श्लोक में ग्रन्थकर्ता ने सरस्वतीकल्प कहने की प्रतिज्ञा की है, जबकि तीसरे में भारतीकल्प की रचना करने का निर्देश है। ७८ वें श्लोक में जिनसेन के शिष्य मल्लिषेण के द्वारा भारतीकल्प रचा गया है, ऐसा भी उल्लेख है। इसमें सामान्यतया पूजाविधि, शान्तिकयंत्र, वश्य-यंत्र, रंजिका-द्वादशयंत्रोद्धार, सौभाग्य रक्षा, आज्ञाक्रम एवं भूमिशुद्धि आदि विषयक यंत्र वर्णित है। सरस्वतीकल्प
इस नाम की एक-एक कृति अर्हद्दास और विजयकीर्ति ने लिखी है। इसमें सरस्वती की साधनाविधि का उल्लेख है। सरस्वती देवी की महिमा, स्तुति, आराधना एवं उनकी साधना विधि से सम्बन्धित अन्य स्तुति-स्त्रोत्रादि भी प्राप्त होते हैं उनमें से कुछ नाम ये हैं - १. सरस्वतीपूजन - इसका परिचय ज्ञात नहीं है। २. सरस्वतीपूजास्तुति - यह रचना जिनप्रभसूरि ने संस्कृत में लिखी है। ३. सरस्वती भक्तामरस्तोत्र - यह रचना 'भक्तामर पादपूर्ति स्तोत्र' के नाम से
' यह कल्प 'सरस्वतीमंत्रकल्प' के नाम से श्री साराभाई नवाब द्वारा प्रकाशित भैरवपद्मावतीकल्प के ११ वें परिशिष्ट के रूप में (पृ. ३१-८) मुद्रित हुआ है।
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