Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
View full book text
________________
जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/299
ग्रन्थकार ने ग्रन्थ का समापन यह कहकर किया है कि श्रेष्ठ श्रमण मुझको सुख-संक्रमण अर्थात् समाधिमरण प्रदान करें।
निष्कर्षतः यह प्रकीर्णक समाधिमरण ग्रहण करने वाले साधकों की परिणति को उत्तरोत्तर आगे बढ़ाने में दृढ़ आलम्बन रूप है तथा समाधिमरण ग्रहण करने की विधि के साथ-साथ समाधि के पूर्व, समाधि के समय एवं समाधि के पश्चात् जानने योग्य, समझने योग्य एवं आचरण करने योग्य बिन्दुओं का सम्यक् संकलन रूप है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org