Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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456 / मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य
पद्धति - इसकी रचना सं. १५३४ में हुई है। पूजाप्रकरण यह कृति वाचक उमास्वाति की मानी जाती है। किन्तु इस सम्बन्ध में विद्वानों में पर्याप्त मतभेद है इसे पूजाविधि-प्रकरण भी कहते हैं। यह रचना मुख्यतया अनुष्टुप छन्द के १६ पद्यों में निबद्ध है। इसमें पूजाविधि का विस्तृत निरूपण हुआ है। इसमें दिन के पृथक्-पृथक् समय में भिन्न-भिन्न प्रकार की पूजाएँ किये जाने का उल्लेख है । इसके साथ ही चक्षु दृष्टि को नीचे करके एवं मौन पूर्वक पद्मासन में बैठकर पूजा करने का विधान भी प्रस्तुत किया है। इसमें गृहचैत्य कैसी भूमि में बनाना चाहिये, जिनप्रतिमा की पूजा करने वाले को किस दिशा या किस विदिशा में मुख करके पूजा करनी चाहिए, पुष्प - पूजा के लिए कौन से और कैसे पुष्पों का उपयोग करना चाहिए, वस्त्र कैसे होने चाहिए इत्यादि पर भी प्रकाश डाला गया है। इसके अतिरिक्त नौ अंग की पूजा, अष्टप्रकारी पूजा तथा इक्कीस प्रकार की पूजा का भी निरूपण हुआ है। संक्षेपतः यह अत्यन्त लघु रचना है तथापि इसमें जिनपूजा के महत्त्वपूर्ण बिन्दु उद्घाटित हुए हैं।
पूजाप्रकरण - इसके कर्त्ता भद्रबाहु है यह संस्कृत में रचित है। पूजा विधान
यह रचना नेमिचन्द्र की है तपागच्छीय प्रद्युम्नसूरि के शिष्य मुनियशोदेव नें इसकी प्रथम नकल वि. सं. १२०८ में की थी । पूजा विधान - यह अज्ञातकर्तृक है। लगभग यह पूर्ववत् है । पूजाविधिप्रकरण - इसके कर्त्ता आचार्य जिनप्रभसूरि है। यह रचना ६०० श्लोक परिमाण है।
पूजाषोड़शक - यह रचना संस्कृत में धर्मकीर्ति ने रची है। पूजाष्टक - इसके कर्त्ता मुनि विजयचन्द्र है।
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पूजाष्टक इसकी रचना मुनि पद्मदेव के शिष्य मुनि लक्ष्मीचन्द्र ने की है। पूजाष्टक यह कृति वि. सं. ११२७ में चन्द्रप्रभ महत्तर द्वारा रची गई है।
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यह कृति बंगाल की 'रॉयल एशियाटिक सोसायटी' द्वारा वि.सं. १६५६ में प्रकाशित सभाष्य तत्त्वार्थाधिगमसूत्र के द्वितीय परिशिष्ट के रुप में मुद्रित हुई है।
इस कृति का गुजराती अनुवाद श्री कुँवरजी आनन्दजी ने किया है वह 'श्री जम्बूद्वीप समास भाषान्तर पूजा - प्रकरण भाषान्तर सहित' नाम से 'जैन धर्म प्रसारक सभा, भावनगर' से वि.सं. १६६५ में प्रकाशित हुआ है। उद्घृत - जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भा. ४, पृ. २६३ यह पुस्तक पार्श्व भक्ति मंडल, नवरंगपुरा अहमदाबाद से प्रकाशित है।
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