Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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514/मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य
इसके बाद परिशिष्ट विभाग में राशिमेल का कोष्टक, बीज-मंत्राक्षरों का कोष और पूर्वोक्त विधि-विधानों में उपयोगी सामग्री की सूचि दी गई है।
वस्तुतः यह प्रतिष्ठाकल्प कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण सामग्री प्रस्तुत करता है। 'श्री शान्तिस्नात्रादिविधिसमुच्चय' नाम से प्रकाशित दोनों विभाग अतिप्रसिद्धि को प्राप्त हुए हैं। निःसन्देह में सारभूत सामग्री का किया गया यह संकलन प्रशंसनीय है। शान्तिस्नात्रविधिसमच्चय
- इस नाम की एक अन्य कृति' भी प्रकाशित है। किन्तु वह गुजराती में है जबकि यह हिन्दी भाषा में है दोनों कृतियों का अवलोकन करने से यह स्पष्ट होता हैं कि विषयवस्तु की दृष्टि से ये दोनों एक ही है केवल गुजराती कृति का ही हिन्दी में अनुवाद किया गया है।
___ यह अनुवाद धनरूपमलजी नागौरी (जयपुर) ने किया है। दूसरी बात, इस कृति में वे ही विधि-विधान संकलित किये गये हैं जो प्रस्तुत नाम वाली अन्य कृतियों में हैं। अतः यहाँ उनका पुनर्लेखन करना अनौचित्यपूर्ण हैं।
' यह कृति 'श्री पुण्य-सुवर्ण-ज्ञान पीठ, जयपुर' ने वि.सं. २०४२ में प्रकाशित की है।
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