Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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548/मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य
साधना करने पर ही उपलब्ध होता है। इसके प्रत्येक श्लोक पर, मंत्र, यन्त्र एवं साधनाविधि से गर्भित कई आवृत्तियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। इससे सिद्ध होता है कि यह कृति स्तुति प्रधान होने पर भी आराधना, उपासना एवं अनुष्ठान के योग्य
जैन परम्परा में इस स्तोत्र को संकट दूर करने वाला माना गया है। जैन साधकों का इस पर अटूट विश्वास है। इसकी मान्यता चमत्कारिक स्तोत्र के रूप में भी है। मांगलिक दृष्टि से भी इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है। इस स्तोत्र की अद्वितीय विशिष्टता यह भी है कि इसमें कहीं पर भी प्रभु आदिनाथ के नाम का उल्लेख नहीं हुआ है। मंत्र-विद्या
इस रचना के लेखक करणीदान सेठिया है।' यह कति तीन खण्डों में विभक्त है- मंत्रविद्या खण्ड, तंत्रविद्या खण्ड और यंत्रविद्या खण्ड। जैन परम्परा के अनुसार मंत्र, यंत्र और तंत्र का उल्लेख तो इसमें है ही, किन्तु इसके साथ-साथ इसमें लोक परम्परा के अनुसार भी मंत्र, यंत्र और तंत्रों के प्रयोग दिये गये हैं। मंत्रों के साथ-साथ इसमें विद्याओं का भी उल्लेख हुआ है। विद्याओं के प्रसंग में इसमें वर्धमानविद्या, लोगस्सविद्या, शक्रस्तवविद्या का उल्लेख है। मंत्रों में पार्श्वमंत्र, मणिभद्रमंत्र, गौतममंत्र, पद्मावतीमंत्र, ज्वालामालिनीमंत्र, घण्टाकर्णमंत्र आदि के साथ-साथ सूर्यमंत्र, गणेशमंत्र, हनुमानमंत्र, भैरवमंत्र, गोरखमंत्र, मुस्लिममंत्र आदि का भी इसमें संकलन किया गया है, जो कि जैन परम्परा सम्मत नहीं है। यही स्थिति यंत्रों और तंत्रों में भी है। सम्मोहन, आकर्षण, वशीकरण आदि से सम्बन्धित मंत्रों और तंत्रों के प्रयोग भी इसमें वर्णित है। जो एक दृष्टि से जैन परम्परा की मूलभूत आध्यात्मिक दृष्टि के विपरीत कहे जा सकते हैं। संक्षेपतः यह जैन मंत्र, तंत्र और यंत्र का एक अच्छा संकलन ग्रन्थ है। मंत्र-शक्ति
___ इस पुस्तिका में दिगम्बराचार्य पुष्पदंतसागर जी के प्रवचनों का संकलन है जिसमें मुख्यरूप से णमोकारमंत्र के महत्त्व का आख्यानों के माध्यम से वर्णन किया गया है। आचार्य श्री के अनुसार नमस्कारमंत्र की शक्ति अनुपम है। संसार
' यह रचना करणीदान सेठिया, ६ आरमेनियम स्ट्रीट, कलकत्ता, से वि.सं. २०३१ में प्रकाशित १ यह पुस्तक अजयकुमार कासलीवाल पंछी, इन्दौर एवं प्रमोद जैन नौगामा, बांसवाड़ा से प्रकाशित है।
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