Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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478 / मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य
देवी-देवताओं एवं जिन बिम्ब का अर्ध चढ़ाते हैं । बिम्ब की स्थापना करते हैं, बिम्बों का पंचामृत से अभिषेक करते हैं महाशान्ति मंत्र को पढ़ते हुए अष्टप्रकारी पूजा करते हैं, चौबीस तीर्थंकरों के मंत्रों का उच्चारण करते हुए चौबीस बार पुष्पारोपण करते हैं। तदनन्तर सिद्धचक्र मण्डल ( यन्त्र) का मूल विधान प्रारंभ होता है इसमें यन्त्र का अभिषेक, यन्त्र का अर्ध निवेदन, यन्त्र की स्थापना, यन्त्र में अष्टदिग् बीजाक्षर की पूजा करते हैं। फिर उस यन्त्र के प्रथम वलय में अष्टदल, द्वितीय वलय में षोडशदल, तृतीय वलय में द्वात्रिंशत् (३२) कमलदल, चतुर्थ वलय में चुतःषष्ठिदल (६४), पंचमवलय में एक सौ अट्ठाईस कमलदल, षष्ठ वलय में दौ सौ छप्पनदल, सप्तम वलय में पाँच सौ बारह कमलदल, अष्टम वलय में एक हजार चौबीस दल की पूजा करते हैं और उतने ही अर्घ्य चढ़ाते हैं । इसके अन्त में हवनविधि करते हैं। शान्तिधारा का पाठ बोलते हैं।
उपर्युक्त विवरण से सुनिश्चित होता है कि सिद्धचक्र मण्डल का विधान प्रतिष्ठादि मांगलिक अनुष्ठानों के समय अनिवार्य रूप से करने योग्य है। यद्यपि इस विधान की प्राचीनता शास्त्रसिद्ध है तथा यह विधान श्वेताम्बर मूर्तिपूजक एवं दिगम्बर दोनों परम्पराओं में सर्वाधिक रूप से प्रचलित रहा है साथ ही अपनी-अपनी परम्परा मूलक और अपनी-अपनी की दृष्टि से इसमें काफी कुछ परिवर्तन एवं विस्तार हुआ है।
इस कृति में अनेक मंत्र एवं कई यंत्र भी दिये गये हैं उनमें जलशुद्धि मन्त्र, पीठिका मन्त्र, जाति मन्त्र, अंकुरारोपण यंत्र, जलमण्डल - अग्नि मंडल, नाभिमण्डल, चन्द्रप्रभाऽनाहत मण्डल (यंत्र ) आदि प्रमुख है।
सीमंधरजिनपूजा
यह पूजा गुजराती पद्य में निबद्ध है। इसकी रचना मुनिनीतिविजय जी ने की है। इस पूजा का रचनाकाल वि.सं. १६६१ है । इसमें सीमंधर स्वामी आदि बीसविहरमानों की पूजा के पद हैं। सभी पूजा जलादि अष्टद्रव्य से करनी चाहिए ऐसा निर्देश हैं। सुगंधदशमीव्रतविधान
यह कृति मूलतः हिन्दी पद्य में है। इसकी रचना कवि खुशालचन्द्र ने की है ।' दिगम्बर परम्परा में इस विधान का अभी भी विशेष प्रचलन है। प्रस्तुत कृति संक्षिप्त होने पर भी सारभूत सामग्री से युक्त है। इसमें क्रमशः अग्रलिखित विषयों का उल्लेख हैं
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यह कृति दिगम्बर जैन पुस्तकालय, खपाटिया चकला, गाँधी चौक,
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सूरत- ३
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