Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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216/संस्कार एवं व्रतारोपण सम्बन्धी साहित्य
द्वादशव्रतोच्चारणविधि
___ यह कृति अज्ञातकर्तृक प्राकृत भाषा में निबद्ध है। हमें देखने को नहीं मिली हैं किन्त कृतिनाम से इतना स्पष्ट है कि इसमें जैन गृहस्थ के बारहव्रत स्वीकार करने की विधि उल्लिखित हुई है। द्वादशव्रतपूजाविधान
यह अज्ञातकर्तृक रचना पूना भंडार में उपलब्ध है। इसमें अहिंसा, सत्य, अचौर्य आदि गृहस्थ के बारहव्रत की पूजाविधि दी गई हैं, ऐसा कृति नाम से सूचित होता है।' धर्मबिन्दुप्रकरण
धर्मबिन्दुप्रकरण नामक यह ग्रन्थ आचार्य हरिभद्रसूरि का है। यह संस्कृत गद्य एवं पद्य मिश्रित शैली में रचा गया है। इस ग्रन्थ का रचनाकाल ८ वीं शती माना जाता है। यह गृहस्थ और साधु सम्बन्धी विधि-विधानों का आकार ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ की विषयवस्तु पठनीय-माननीय एवं अनुकरणीय है। इसमें गृहस्थ-साधु दोनों की प्रारम्भिक भूमिकाओं का सुन्दर वर्णन किया गया हैं। इस ग्रन्थ के नाम से यह स्पष्ट होता हैं कि इसमें धर्म के आवश्यक बिन्दु कहे गये हैं।
'धर्म' भारतीय संस्कृति का अत्यंत महत्त्वपूर्ण और अतिप्रिय विषय रहा है। धर्म के विषय को लेकर भारत में जितनी-जितनी विचारणाएँ हुई हैं उतनी विचारणा किसी अन्यदेश में नहीं हुई हैं। उन सभी धर्मदर्शनों में जैनदर्शन नै धर्म सम्बन्धी जो विशिष्ट परिभाषाएँ प्रस्तुत की हैं वे सभी के लिए विशेष अभ्यास
और परिशीलन के योग्य हैं। सभी क्षेत्रों में सुख-शांति-समृद्धि-उन्नति और कल्याण को देने वाला धर्म कितना विराट और व्यापक है कि हृदय आश्चर्यचकित हो जाये वस्तुतः धर्म हमारा प्राण है, शक्ति है, साधना है, सब कुछ है, उसकी चर्चा जितनी की जाये, कम है।
. जैन साहित्य में ही नहीं, भारतीय साहित्य में भी धर्मबिन्दु का स्थान अत्यन्त महत्व का रहा हुआ है। भारत में धार्मिक मनुष्य का स्थान अत्यन्त ऊँचा
'जिनरत्नकोश - पृ. १८४ २ यह ग्रन्थ मुनिचन्द्रसूरि की टीका के साथ श्री जिनशासनआराधना ट्रस्ट, मुंबई ने वि.सं. २०५० में प्रकाशित किया है। इसका एक प्रकाशन वि.सं. १६६७ में भी हुआ है। इसका गुजराती अनुवाद सन् १६२२ में प्रकाशित हुआ है। इसके अतिरिक्त मुनिचन्द्रसूरि की टीका सहित मूल कृति का अमृतलालमोदीकृत हिन्दी अनुवाद हिन्दी जैन साहित्य प्रचारक मण्डल, अहमदाबाद सन् १६५१ प्रकाशित किया है।
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