Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/255
विविध जिनालयों के दर्शन की भावना उत्पन्न होने पर तीर्थयात्रा करनी चाहिये। तीर्थयात्रा से मन्दिरों की शोभा उत्तरोत्तर बढ़ती हैं।
४० वें द्वार में 'तिथि विधि' का सम्यक् विवेचन है, जो पर्व तिथि के अवसर पर जप आदि विशिष्ट साधना की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सामग्री प्रस्तुत करता है। ४१ वें अन्तिम द्वार में 'अंगविद्यासिद्धि विधि' कही गई है। जिसका लौकिक- लोकोत्तर दोनों प्रकार की साधना की दृष्टि से महत्त्व रहा हुआ है।
इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि जिनप्रभसूरि ने इन विधियों का निरूपण इसके क्रम को ध्यान में रखते हुए अत्यन्त सूक्ष्मता के साथ किया है तथा जिन शासन के आराधकों को जैन विधि-विधान का एक विशिष्ट खजाना प्रदान किया है। विधिसंग्रह
तपागच्छीय प्रबोधसागरजी के शिष्य प्रमोदसागरसूरि के द्वारा संग्रहीत की गई यह कृति गुजराती भाषा में निबद्ध है। इसमें दीक्षा संबंधी, योगवहन संबंधी, पदप्रदान संबंधी एवं व्रत-तपग्रहण संबंधी विधियाँ दी गई हैं। उन विधियों के नाम ये हैं - १. दीक्षा विधि २. योग में प्रवेश करने की विधि ३. योग प्रवेश के दिन नंदि करने की विधि ४. योग प्रवेश दिन की अनुष्ठान विधि ५. योग प्रवेश दिन की प्रवेदन (पवेयणा) विधि ६. सज्झाय विधि ७. आवश्यकसूत्र की योग विधि ८. योग वहन काल में प्रतिदिन करने योग्य पवेदणा विधि ६. दशवैकालिकसून की योग विधि १०. दिन वृद्धि और दिन गिरने के कारण ११. योग की सन्ध्याकालीन विधि १२. योग में से बाहर निकलने की विधि १३. मांडली के सात आयंबिल की विधि १४. पाली पलटने की विधि १५. अनुयोग विधि १६. उपस्थापना विधि १७. बृहद्योग विधि १८. नुतरा देने की विधि १६.कालग्राही और दांडीधर की विधि २०. स्वाध्याय प्रस्थापना विधि २१. पवेदणा विधि २२. स्वाध्याय विधि २३. काल मंडल और संघट्टा विधि २४. बृहद् योग की सन्ध्याकालीन क्रिया विधि २५. आचार्यपद, वाचकपद, पन्यासपद और गणिपद प्रदान विधि २६. बारहव्रत और बीशस्थानक तप ग्रहण विधि २७. तीर्थमाला पहनाने की विधि। इस कृति के अन्तर्गत योगवहन यंत्र, योगवहन संबंधी सूचनाएँ एवं सज्झाय- पाटली-कालग्रहण आदि खण्डित होने के कारण भी बतलाये गये हैं।
' यह कृति आगमोद्धारक ज्ञानशाला, एम.एम.जैन सोसायटी वरसोडानी चाल, साबरमती, अहमदाबाद से प्रकशित है।
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