Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/169
तपोविधिसंग्रह
यह संकलित कृति' हिन्दी गद्य में है। इसमें कुछ प्रचलित तप दिये गये हैं। इसके साथ आवश्यक अन्य विधि-विधानों का भी उल्लेख हुआ है। विषयवस्तु इस प्रकार है -
१. प्रत्येक तप में प्रत्येक दिन करने की सामान्य विधि २. वर्द्धमानआयंबिल तप विधि ३. इन्द्रियजयतप विधि ४. कषायजयतप विधि ५. मोक्षतप विधि ६. चौदहपूर्वतप आराधन विधि ७. पंचरंगीतप विधि ८. अक्षयनिधितप विधि ६. बीशस्थानकतप विधि १०. क्षीरसमुद्रतप विधि ११. अष्टापदओलीतप विधि १२. रोहिणीतप विधि १३. चत्तारि-अट्ठ-दस-दोय तप विधि १४. चंदनबाला तप विधि १५. सिद्धितप विधि १६. वर्षीतप विधि १७. सभी तपविधियों में प्रत्याख्यान पारने की विधि १८. सभी तपविधियों में देववन्दन करने की विधि तपावली
इस कृति में कुल १६२ तपविधियाँ गुजराती भाषा में संकलित है। इसमें कुछ तपों के प्रयोजन भी बताये गये हैं। यह तप साधकों के लिए बहुमूल्य रचना
तपः परिमल
यह संकलन हिन्दी गद्य में है। इसमें कुल वर्षीतप आदि पन्द्रह प्रकार के तपविधान संग्रहित हैं।' तप-फोरम
यह संकलित अर्वाचीन रचना है। इसमें अठारह प्रकार की तपविधियों का गुजराती भाषा में संग्रह हुआ है। ये वर्तमान परम्परा के प्रचलित तपोनुष्ठान
' यह पुस्तक वि.सं. २०१६ में, श्री जैन श्वे. संघ की पेढी, पीपली बाजार, इन्दौर से प्रकाशित
यह सोमचंद डी. शाह जीवन निवास के सामने पालीताणा से प्रकाशित है। * यह पुस्तक 'ताराचन्द भीमाणी, भीनमाल' ने वि.सं. २०११ में प्रकाशित की है। * यह पुस्तक 'कीर्ति बेन बसंतलाल गाँधी, गाँधी बंगला, झवेर रोड़, मुलुन्ड, मुंबई' में उपलब्ध
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