Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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इसमें न केवल ज्ञानपंचमीतप विधि का ही वर्णन है अपितु कई ज्ञानाष्टक, ज्ञानपद, ज्ञानपूजा, ज्ञानाचारविषयक कथानक इत्यादि विपुल सामग्री समाविष्ट हैं। अब तक हमें इस प्रकार की यही एक मात्र कृति देखने में आई हैं, जिसमें ज्ञानाराधना की आवश्यक सोमग्री का भी संकलन हुआ है। ज्ञानाराधकों को इस कृति का अवश्य अवलोकन करना चाहिए। इस पुस्तक के आधार पर ज्ञानपद की सम्यक् प्रकार से आराधना और पूजा की जा सकती है। इस कृति की विषयवस्तु संक्षेप में इस प्रकार है- १. ज्ञानपंचमीतप विधि २. आठ प्रकार के ज्ञानाचार का स्वरूप एवं उनके कथानक' ३. ज्ञानाष्टक अर्थ युक्तयशोविजयजीकृत ४. ज्ञानाष्टक अर्थ युक्त हरिभद्रसूरिकृत ५. श्री ज्ञानपंचमीपूजारूपविजयजीकृत ६. बीशस्थानक पूजा में से ज्ञानपद पूजा - विजयलक्ष्मीसूरिकृत ७. श्री बीशस्थानक पूजा में से तीसरी ज्ञानपद पूजा - आत्मारामजीकृत ८. श्री नवपद पूजा में से ज्ञानपद पूजा- यशोविजयजी कृत पद्मविजयजीकृत, आत्मारामजीकृत, पं. गंभीरविजयजीकृत ६. पिस्तालीस आगम की पूजा में से ज्ञान पूजा का गीतश्री वीरविजयजी कृत १०. ज्ञानपंचमी का चैत्यवंदन - स्तवन - स्तुति - सज्झाय आदि । ११. श्री सौभाग्यपंचमी के देववन्दन का अर्थ इसमें पाँच ज्ञान के चैत्यवन्दन - स्तवन- स्तुति आदि आते हैं। १२. ज्ञानपंचमीतप उद्यापन विधि एवं उद्यापन में रखने योग्य उपकरणों की सूची ।
जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास / 173
निष्कर्षतः यह कृति ज्ञानाराधकों की दृष्टि से अमूल्य एवं अनुपम है। भले ही यह कृति प्रकाशन की दृष्टि से अर्वाचीन हों, परन्तु इसकी सामग्री प्राचीन आचार्यों एवं मुनिप्रवरों द्वारा रचित है।
नवपदआराधना विधि
यह कृति हिन्दी गद्य-पद्य में है। यह भी एक संकलित रचना है। इसमें नवपद आराधना-विधि का विधिवत् निरूपण हुआ है। यह कृति आराधकों की दृष्टि से उपयोगी प्रतीत होती है। इसमें नवपद की आराधना विधि को लेकर निम्न विषय चर्चित हैं हु
१. नवपद ओली के नौ दिनों में करने योग्य आवश्यक क्रियाओं की सूचनाएँ २ . प्रथम दिन - अरिहंतपद की आराधना - विधि ३. द्वितीय दिन सिद्धपद की आराधना-विधि तृतीय दिन - आचार्यपद की आराधना - विधि ५. चतुर्थ दिन उपाध्यायपद की आराधना - विधि ६. पंचम दिन ७. षष्टम दिन - दर्शनपद की आराधना - विधि ८.
४.
साधुपद की आराधना-विधि
सप्तम दिन
ज्ञानपद की
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' ये कथानक 'आचारप्रदीप' ग्रन्थ में से उद्धृत किये गये हैं ।
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