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शक्तिकेन्द्र-(१) मनुष्य के शरीर में शक्ति अथवा ऊर्जा के तीन स्थान हैं
१. गुदा २. नाभि ३. कण्ठ
इनमें गुदा का स्थान पहला ऊर्जा केन्द्र है। हठयोग में इसे मूलाधार चक्र कहा जाता है। प्रेक्षाध्यान की पद्धति में इसका नाम शक्तिकेन्द्र है। यह मनुष्य के विकास-क्रम का पहला सोपान है। पशु के विकास-क्रम का अन्तिम सोपान है।
शक्तिकेन्द्र से लेकर एडी तक जो चैतन्यकेन्द्र हैं, उनका संबंध मौलिक मनोवृत्तियों के साथ है।
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२६ मार्च २०००
(भीतर की ओर
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