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हॉर्मोन्स का संतुलन एड्रीनलाइन के साव से मन व शरीर को हठात् अधिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके अधिक साव से. तनाव व निराशा उत्पन्न होती है। थायराइड ग्रन्थि से स्ववित होने वाला थायरॉविसन चयापचय की दर को नियन्त्रित करता है। इसका अतिसाव शरीर एवं मन में तनाव व उत्तेजना पैदा करता है। इसका कम साव शरीर में थकान एवं मन में आलस्य पैदा करता है। अन्य हॉर्मोन्स हमारे प्रजनन संबंधी अंगों को नियमित करते हैं तथा मेल एवं फीमेल सम्बन्धी हॉर्मोन्स पुरुषत्व एवं स्त्रीत्व प्रदान करते हैं। इनकी कमी-बेशी मनुष्य को नपुंसक या कामुक बना देती है।
वात, पित्त और कफ का वैषम्य रोग और उनका साम्य आरोग्य है। इस आयुर्वेदीय सिद्धान्त के आधार पर आयुर्विज्ञान का यह सिद्धान्त स्थापित किया जा सकता है कि हॉर्मोन्स के स्राव का असंतुलन रोग और उनका संतुलन आरोग्य है।
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२५ अप्रैल २०००
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(भीतर की ओर
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