Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 282
________________ - - - - - - ज केवल सुनो येन दुई ने पूछा-मन का संयम करने के लिए क्या करूं? कन्पयूशियस ने कहा- केवल कानों से सुनो। कान से सुना जाता है किन्तु उसके साथ प्रियता और अप्रियता का संबंध नहीं होता। कान के साथ मन जुड़ता है तभी प्रियता और अप्रियता का संबंध होता है। मन का संयम तभी होता है जब इन्द्रिय के साथ मन का सम्पर्क न हो। २१ सितम्बर २००० - (भीतर की ओर २८१ - Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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