Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 368
________________ 5 शील पुकष : पंचाज ध्यान गुणात्मक विकास का शरीर के अवयवों के साथ संबंध है। इसलिए इसके अवयव ध्यान के आलम्बन बन जाते हैं। पंचाङ्ग पुरुष की कल्पना करें। मस्तिष्क पर ध्यान केन्द्रित करें। मस्तिष्क का स्वरूप है उपशांत कषाय। ५ मिनिट तक इसकी अनुप्रेक्षा करें। दाएं हाथ पर ध्यान केन्द्रित करें। विनम्रता दायां हाथ है। संकल्प करें--विनम्रता का विकास हो रहा है। बाएं हाथ पर ध्यान केन्द्रित करें। सामञ्जस्य बायां हाथ है। संकल्प करें-सामञ्जस्य का विकास हो रहा है। दाएं पैर पर ध्यान केन्द्रित करें। सहिष्णुता दायां पैर है। संकल्प करें—सहिष्णुता का विकास हो रहा है। बाएं पैर पर ध्यान केन्द्रित करें। सेवा, सहयोग बायां पैर है। संकल्प करें-सेवा और सहयोग का विकास हो रहा है। १६ दिसम्बर २००० (भीतर की ओर ३६७ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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