Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 367
________________ 55 गुण संक्रमण जो व्यक्ति जिस गुण का विकास करना चाहे उस गुण से सम्पन्न व्यक्ति का मानसिक चित्र बनाए। उस पर एकाग्र होकर ध्यानलीन हो जाए। इस प्रक्रिया से इष्ट सिद्धि होती है। जिस गुण का विकास करना चाहता है, उस गुण का ध्यान करने वाले में संक्रमण शुरू हो जाता है। भगवान महावीर का ध्यान सहिष्णुता के गुण का विकास करने में बहुत उपयोगी है। १५ दिसम्बर २००० (भीतर की भोर) - ३६ - Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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