Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 371
________________ EAvastansamaATARIANDrammarn e wswomranAmAvMarawnoanemimaranainamusi वर्षांतप अर्हत् ऋषभ की तपस्या के आधार पर वर्षांतप की परम्परा चल रही है। वर्षांतप के अनेक प्रयोग हो सकते हैं। आध्यात्मिक विकास के लिए वे बहुत प्रासंगिक हैं। १. एक वर्ष तक प्रतिदिन तीन घण्टा कायोत्सर्ग का प्रयोग करें। २. एक वर्ष तक प्रतिदिन तीन घण्टा ध्यान का प्रयोग करें। ३. एक वर्ष में किसी भी समय असहिष्णुता का भाव आने पर दूसरे दिन उपवास करें। ४. एक वर्ष में उत्तेजनापूर्ण व्यवहार होने पर दूसरे दिन उपवास करें। ५. एक वर्ष में अनुशासन और व्यवस्था का अतिक्रमण होने पर दूसरे दिन उपवास करें। Gene r aavARMA a saamavasaramanawimmmHIMIRMWARAMMARWADI - - - - १६ दिसम्बर २००० wwwNIamWritement (भीतर की ओर ) · Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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