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ਹਰਫਨਰਲ
वृत्ति परिवर्तन
पारिणामिक भाव हमारे स्वरूप का एक अंग है । उसके अनुसार प्रतिक्षण चेतन और अचेतन में परिणमन होता है । वह स्थूल जगत में परिवर्तन के रूप में जाना जाता है ।
परिणमन निमित्त से होता है और बिना निमित्त भी होता है। हमारे आन्तरिक परिणमन के कुछ निमित्त ये हैं
१. चंचलता को कम करने की युक्ति
श्वास प्रेक्षा ।
२. प्रिय- अप्रिय संवेदन को कम करने की युक्ति दर्शनकेन्द्र प्रेक्षा ।
३. प्रमाद को कम करने की युक्ति
प्राणकेन्द्र अप्रमादकेन्द्र प्रेक्षा ।
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४. बाहरी आकर्षण को कम करने की युक्ति आनन्दकेन्द्र, विशुद्धिकेन्द्र प्रेक्षा ।
२५ दिसम्बर
२०००
भीतर की ओर
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