Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 377
________________ फ्रक फ्र ਹਰਫਨਰਲ वृत्ति परिवर्तन पारिणामिक भाव हमारे स्वरूप का एक अंग है । उसके अनुसार प्रतिक्षण चेतन और अचेतन में परिणमन होता है । वह स्थूल जगत में परिवर्तन के रूप में जाना जाता है । परिणमन निमित्त से होता है और बिना निमित्त भी होता है। हमारे आन्तरिक परिणमन के कुछ निमित्त ये हैं १. चंचलता को कम करने की युक्ति श्वास प्रेक्षा । २. प्रिय- अप्रिय संवेदन को कम करने की युक्ति दर्शनकेन्द्र प्रेक्षा । ३. प्रमाद को कम करने की युक्ति प्राणकेन्द्र अप्रमादकेन्द्र प्रेक्षा । ★ ४. बाहरी आकर्षण को कम करने की युक्ति आनन्दकेन्द्र, विशुद्धिकेन्द्र प्रेक्षा । २५ दिसम्बर २००० भीतर की ओर ३७६ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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