Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

Previous | Next

Page 375
________________ - - - Vidhi दूसरे की आदत बदलना आदत बदलने के लिए प्रयोग स्वयं को करना चाहिए। स्वयं न कर सके तो उस स्थिति में उस व्यक्ति के लिए दूसरा व्यक्ति प्रयोग कर सकता है। उसकी विधि १. जिसकी आदत को बदलना हो उसे लेटा दें। २. उसके सिरहाने बैठे। ३. पांच मिनिट दीर्घश्वास का प्रयोग करें। ४. दीर्घ श्वास लेते हुए हाथ, जिसकी आदत बदलनी हो, उसके सिर पर रखें। अन्तःकुम्भक कर भावना करे---इसमें अमुक आदत का प्रवेश हो रहा है। यह अब अच्छा आचरण करेगा। ५. श्वास का रेचन करते समय भावना करें—इसकी बुरी आदत निकल रही है। बाह्य कुंभक कर भावना करें-इसका चित्त निर्मल हो रहा है। इसमें पवित्रता का संचार हो रहा है। इस प्रकार नौ आवृत्तियां करें। सिर से हाथ उठाकर आकाश में झटक दें। इस प्रयोग से दूसरे की क्रूरता, व्यसन आदि प्रवृत्तियों में परिवर्तन लाया जा सकता है। २३ दिसम्बर २००० (भीतर की ओर Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386