Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 380
________________ - - - क क्वर चक्र स्वर विद्या में तीन स्वर माने गए हैं। ये तीनों क्रमशः चलते हैं। सामान्य सिद्धान्त यह है—दिन में चन्द्रस्वर श्रेष्ठ है। रानि में सूर्यस्वर श्रेष्ठ है। स्थिर कार्य के लिए चन्द्रस्वर श्रेष्ठ है। चर कार्य के लिए सूर्यस्वर श्रेष्ठ है। ध्यान और समाधि के लिए सुषुम्ना श्रेष्ठ है। स्वर विद्या के अनुसार प्रत्येक स्वर के चलने का समय तीन घड़ी (डेढ़ घण्टा) होता है। तिथि के साथ स्वर का सम्बन्ध है। इसके लिए विशेष जानकारी आवश्यक है। २८ दिसम्बर २००० (भीतर की ओर Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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