Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 372
________________ - - - mananews a व्यसनमुक्ति व्यसन जब स्नायविक बन जाता है तब उसे छोड़ना कठिन हो सकता है फिर भी दृढ़ संकल्प द्वारा उसे छोड़ा जा सकता है। १. पांच मिनिट कायोत्सर्ग करें। २. पांच मिनिट दीर्घ श्वास का प्रयोग करें। ३. पांच मिनिट संकल्पशक्ति को जागृत करें। ४. दस मिनिट तक सुझाव दें-मेरी चेतना पविन संकल्प से घिरी हुई है, उसमें कोई भी बुरा विचार प्रवेश नहीं करेगा। ५. पांच मिनिट तक व्युत्सर्ग का प्रयोग करें--श्वास का रेचन करते जाएं उसके साथ अनुभव करें—व्यसन की आदत का रेचन हो रहा है। अब मेरे मन में इसका विचार नहीं आएगा। मेरी संकल्पशक्ति इसे अपने भीतर नहीं आने देगी। ma २० दिसम्बर २००० - (भीतर की ओर भीतर की ओर ) ३1०१ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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