Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 370
________________ फ्र ਸਿੰਧਯ ਫਿਰ साधना के लिए नियन्त्रण शक्ति का विकास जरूरी है। हर आदमी में नियंत्रण शक्ति का एक सामान्य अनुपात होता है। साधक के लिए उसका विकास इसलिए जरूरी है कि सामान्य नियन्त्रण शक्ति से साधना के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ा जा सकता । नियन्त्रण शक्ति बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण प्रयोग है प्राणकेन्द्र और दर्शनकेन्द्र पर ध्यान । पहले तीन मिनिट प्राणकेन्द्र पर ध्यान करें, उसके बाद तीन मिनिट तक दर्शनकेन्द्र पर ध्यान करें। १८ दिसम्बर २००० भीतर की ओर ३६८ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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