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इष्टसिद्धि-(३)
पूर्ण एकाग्रता से किसी भी वस्तु की इच्छा की जाती है तो उसके प्रभाव से सूक्ष्म आकाश में एक प्रकार के कंपन उत्पन्न होकर इष्ट वस्तु पर अपना घेरा डाल देते हैं यह परिणमन का सिद्धान्त है ।
मनुष्य के भीतर नाना प्रकार के प्रकम्पन होते हैं । उन प्रकम्पनों का एक आकार बन जाता है, इष्ट का साक्षात् हो जाता है ।
०८ नवम्बर
२०००
भीतर की ओर
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