Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 362
________________ FFI तेजस शक्ति पद्मासन की मुद्रा में बैठकर दीर्घ श्वास का प्रयोग करें। शक्तिकेन्द्र पर ध्यान करें। पूरक के समय वहां श्वास का अनुभव करें। 'सो' के मृदु और मंद उच्चारण के समय श्वास का पूरक करें। 'हं' के उच्चारण के समय श्वास का रेचन करें। इसी प्रकार श्वास के पूरक के समय 'ॐ' अथवा 'अर' का मृदु-मंद उच्चारण करें। श्वास रेचन के साथ 'म्' अथवा 'हम्' का उच्चारण करें। इसका अभ्यास परिपक्व होने पर तैजस शक्ति का जागरण होता है। १० दिसम्बर २००० Pathariate.aNamniw (भीतर की ओर ३६१ - - Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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