Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 363
________________ 5555 तेजस चक्र वही व्यक्ति प्राणवान रह सकता है जिसका तैजस चक्र सक्रिय होता है। निम्न निर्दिष्ट अभ्यास के द्वारा उसे सक्रिय किया जा सकता है अथवा रखा जा सकता है मैं सूर्यचक्र अथवा तैजस चक्र का विकास करने के लिए ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं' मंत्र की साधना कर रहा हूं। 'ॐ ऋषभाय नमः' इस मंत्र का ६ बार उच्चारण करें । चित्त को तैजसकेन्द्र पर एकाग्र करें। संकल्प करें—तेजस चक्र का निर्माण हो रहा है। मंत्र का मानसिक जप चलता रहे। प्रारम्भ में उच्चारण करें। बीच में कुछ-कुछ अन्तराल से उच्चारण और अंत में मानसिक जप करें। प्रतिदिन ४५ मिनिट तक इसका प्रयोग करें। ११ दिसम्बर २००० भीतर की ओर ३६२ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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