Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 347
________________ 4000666 अहिंसा आदि का अभ्यास अहिंसा, सत्य आदि की साधना का एक क्रम है । साधना के प्रथम चरण में अहिंसा का संकल्प लिया जाता है। संकल्प मात्र से वह सिद्ध नहीं होती। उसे सिद्ध करने के लिए अभ्यास आवश्यक है एकान्त में बैठो । शरीर, श्वास और मन को शिथिल करो। पांच-दस मिनिट तक इन्हें शिथिल करने के लिए सूचना देते जाओ। ये जब शिथिल हो जाएं, तब अहिंसा की अनुप्रेक्षा करो। एक मास तक प्रतिदिन आधा घंटा इसका अभ्यास करो। पन्द्रह मास में इन पन्द्रह तत्त्वों का अभ्यास करो । पन्द्रह तत्त्व अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह | अभय, क्षमा, मार्दव, आर्जव, लाघव । मैत्री, प्रमोद, करुणा, माध्यस्थ्य, एकत्व । VÁ A २५ नवम्बर २००० भीतर की ओर ३४६ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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