Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 345
________________ - Haw क्रोध-नियन्त्रण-(२) १. पद्मासन या वजासन की मुद्रा में बैठे। उज्जाई प्राणायाम का प्रयोग करें। ध्यान ज्योति केन्द्र पर केन्द्रित करें। प्राणायाम के समय भी ध्यान ज्योति केन्द्र पर बना रहे। इस अभ्यास को ५ मिनिट से प्रारम्भ कर ३० मिनिट तक करें। इससे नाड़ियों को आराम मिलता है और मस्तिष्क शांत रहता है। उज्जाई प्राणायाम का प्रयोग अनिद्रा के रोग को मिटाने में उपयोगी है, वैसे ही क्रोध की उत्तेजना को शान्त करने में उपयोगी है। aisi mandANNIRMALARIANRAMAIWww wani marteRAMMARHaram २३ नवम्बर २००० AAAAA A AAAHARAHIMALPARAN भीतर की ओर) -AL - Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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