Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 352
________________ तलाठी स्वास्थ्य व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के लिए स्वयं प्रयोग कर सकता है और पूरी तन्मयता के साथ यदि वह प्रयोग करे तो सफल हो सकता है। शिथिल होकर लयबद्ध श्वास लें। श्वास द्वारा अधिक प्राण खींचने का संकल्प करें। रेचन के साथ प्राण को रुग्ण स्थान पर भेजें। सिर से लेकर रुग्ण भाग तक हाथ फेरें। कल्पना करें कि प्राण भुजाओं में प्रवाहित होता हुआ अंगुलियों के छोरों से शरीर में प्रवेश कर रहा है, रुग्ण अंग को स्वस्थ कर रहा है। ३० नवम्बर ३० नवम्बर २००० (भीतर की ओर ३५१ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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