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मातृका-न्यास-(१) मन्न शास्त्र में न्यास का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मातृका न्यास-वर्णमाला के बिना जो जप किया जाता है वह सफल नहीं होता। इसलिए साधक को जप के प्रारम्भ में मातृका-न्यास का प्रयोग करना चाहिए।
मातृका-न्यास के तीन विभाग किए गये हैंप्रथम विभाग-अकार आदि सोलह स्वर। दूसरा विभाग--ककार आदि पच्चीस वर्ण । तीसरा विभाग—यकार आदि आठ वर्ण ।
०६ दिसम्बर
२०००
(भीतर की भोर)
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