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अमृताव और रसायन स्वर विद्या के साथ-साथ रसायन विद्या का ज्ञान भी आवश्यक है। वर्तमान विज्ञान ने शरीरस्थ अनेक रसायनों का प्रतिपादन किया है। योग के प्राचीन साहित्य में अमृत के साव का उल्लेख मिलता है। उसकी विज्ञान द्वारा प्रतिपादित रसायनों से तुलना की जा सकती है।
१. जालन्धर बंध-कण्ठ को संकुचित कर छुडी को फेफड़े के ऊपरीभाग में स्थापित करने पर जालन्धर बंध सिद्ध होता है। इस साधना से शरीर में अमृत का संतुलन बना रहता है।
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२६ नवम्बर
२०००
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(भीतर की ओर
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